एक जनकवि पर दूसरा जनकवि कितने यथार्थपरक ढंग से लिखता है, कितनी सफाई-साफगोई के साथ, कितनी सच्चाई-निष्ठा के साथ, इसका प्रमाण कवि अदम गोंडवी द्वारा बाबा नागार्जुन पर लिखी यह गजल है. इसमें अत्यल्प में ही जैसे एक कवि का आलोचकीय मूल्यांकन भी निहित हो, उसकी काव्य-दृष्टि और काव्य-विषय की केन्द्रीयता को प्रस्तुत किया गया हो. नागार्जुन के सरोकार को बखूबी बता दिया गया है. अंतिम शेर गोकि उनकी अथक-जिजीविषा का सटीक बयान हो, 'प्रति-हिंसा ही स्थायी भाव है मेरे कवि का!' नागार्जुन पर लिखी गयी अब तक की सबसे सुन्दर कविता इसे ही मानता हूँ! हाजिर है:
गजल: नागार्जुन
वामपंथी सोच का आयाम है नागार्जुन,
जिन्दगी में आस्था का नाम है नागार्जुन.
ग्रामगंधी सर्जना उसमें जुलाहे का ग़ुरूर,
जितना अनपढ़ उतना ही अभिराम है नागार्जुन.
हम तो कहते हैं उसे बंगाल की खाँटी सुबह,
केरला की खूबसूरत शाम है नागार्जुन.
ख़ास इतना है की सर आँखों पे है उसका वजूद,
मुफ्लिसों की झोपडी तक आम है नागार्जुन.
इस अहद के साथ की इस बार हारेगा 'यज़ीद',
कर्बला में युद्ध का पैग़ाम है नागार्जुन.
(~कवि अदम गोंडवी)
नागार्जुन की इतनी प्रभावी जीवनी नहीं पढ़ी
जवाब देंहटाएंअदम साहब की कलम सच के सिवा कुछ और नहीं लिख पाती थी ...
जवाब देंहटाएंये भी एक सचाई ही है ...
सुन्दर लिखा है अदमजी ने नागार्जुन जी के बारे में।
जवाब देंहटाएंग्रामगंधी सर्जना उसमें जुलाहे का ग़ुरूर,
जवाब देंहटाएंजितना अनपढ़ उतना ही अभिराम है नागार्जुन.
हम तो कहते हैं उसे बंगाल की खाँटी सुबह,
केरला की खूबसूरत शामहै नागार्जुन.
क्या खूबसूरती से सहज लहजे में बांधा है नागार्जुन को अदम ने .....ऊपर के कमेन्ट से सहमत हूँ ...वाकई ऐसी जीवनी नहीं पढ़ी नागार्जुन की !
सुन्दर लिखा है अदमजी ने नागार्जुन जी के बारे में।
जवाब देंहटाएं.....मेरे गीत के विमोचन में आपसे मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई
@ संजय भास्कर